जहाँ जहाँ तिरी नज़रों की ओस टपकी है
वहाँ वहाँ से अभी तक ग़ुबार उठता है
जहाँ जहाँ तिरे जल्वों के फूल बिखरे थे
वहाँ वहाँ दिल-ए-वहशी पुकार उठता है
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Habib Jalib
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Parveen Shakir
Gulzar
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
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नहीं किया तो कर के देख
मेरी तक़दीर में जलना है तो जल जाऊँगा
शुआ-ए-फ़र्दा
फ़न जो नादार तक नहीं पहुँचा
जश्न-ए-ग़ालिब
सर-ज़मीन-ए-यास
मिलती है ज़िंदगी में मोहब्बत कभी कभी
वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन
कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया
शहज़ादे
किस दर्जा दिल-शिकन थे मोहब्बत के हादसे
ये वादियाँ ये फ़ज़ाएँ बुला रही हैं तुम्हें