ज़मीं ने ख़ून उगला आसमाँ ने आग बरसाई
जब इंसानों के दिल बदले तो इंसानों पे क्या गुज़री
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Gulzar
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Javed Akhtar
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(873) Peoples Rate This
एक मुलाक़ात
फ़नकार
बहुत घुटन है
आप दौलत के तराज़ू में दिलों को तौलें
चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है आँखों में सुरूर आ जाता है
शिकस्त
अपने अंदर ज़रा झाँक मेरे वतन
गुरेज़
हमीं से रंग-ए-गुलिस्ताँ हमीं से रंग-ए-बहार
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को
जो लुत्फ़-ए-मय-कशी है निगारों में आएगा
माना कि इस ज़मीं को न गुलज़ार कर सके