तपते दिल पर यूँ गिरती है
तेरी नज़र से प्यार की शबनम
जलते हुए जंगल पर जैसे
बरखा बरसे रुक रुक थम थम
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Gulzar
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Anwar Masood
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औरत ने जनम दिया मर्दों को मर्दों ने उसे बाज़ार दिया
कभी कभी
इंतिज़ार
हर क़दम मरहला-दार-ओ-सलीब आज भी है
तंग आ चुके हैं कशमकश-ए-ज़िंदगी से हम
मैं नहीं तो क्या
शर्मा के यूँ न देख अदा के मक़ाम से
इस तरफ़ से गुज़रे थे क़ाफ़िले बहारों के
कोई दिल की चाहत से मजबूर है
ऐ नई नस्ल
दीवारों का जंगल जिस का आबादी है नाम
एक मुलाक़ात