शिकस्ता-दिल थे तिरा ए'तिबार क्या करते

शिकस्ता-दिल थे तिरा ए'तिबार क्या करते

जो ए'तिबार भी करते तो प्यार क्या करते

ज़रा सी देर को बैठे थे फिर उठा न गया

शजर ही ऐसा था वो साया-दार क्या करते

शब इंतिज़ार में दिन याद-ए-यार में काटे

अब और इज़्ज़त-ए-लैल-ओ-नहार क्या करते

कभी क़दम सफ़र-ए-शौक़ में रुके ही नहीं

तो संग-ए-मील भला हम शुमार क्या करते

सितम-शनास-ए-मोहब्बत तो जाँ पे खेल गए

निशाना-ए-सितम-ए-रोज़गार क्या करते

हमारी आँख में आँसू न उस के लब पे हँसी

ख़याल ख़ातिर-ए-अब्र-ए-बहार क्या करते

वो ना-पसंद था लेकिन उसे भुलाया नहीं

जो बात बस में न थी इख़्तियार क्या करते

दरून-ए-ख़ाना-ए-दिल कैसा शोर है 'साजिद'

हमें ख़बर थी मगर आश्कार क्या करते

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In Hindi By Famous Poet Sajid Amjad. is written by Sajid Amjad. Complete Poem in Hindi by Sajid Amjad. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.