रात गहरी है तो फिर ग़म भी फ़रावाँ होंगे

रात गहरी है तो फिर ग़म भी फ़रावाँ होंगे

कितने बुझते हुए तारे सर-ए-मिज़्गाँ होंगे

क़हर है साअ'त-ए-महशर है कि कोहराम-ए-फ़ना

ख़ाक इस शहर-ए-फ़ना-कोश में इंसाँ होंगे

शहर हो दश्त हो महफ़िल हो कि वीराना हो

हम जहाँ जाएँ वही ख़ार-ए-मुग़ीलाँ होंगे

कैसे इस शहर-ए-ख़राबी में बसर की हम ने

कल जो आएँगे वो अंगुश्त-ब-दंदाँ होंगे

शाम से दिल में तराज़ू है कोई तीर-ए-सितम

रात गुज़रेगी न ख़्वाबों के शबिस्ताँ होंगे

दीद का बार-ए-अमानत न उठेगा उस शब

ख़ूँ-चकाँ सुब्ह तलक दीदा-ए-हैराँ होंगे

फ़िक्र महबूस हुई हर्फ़-ए-दुआ गुंग हुआ

अहल-ईमान-ओ-नज़र ख़ाक-ब-दामाँ होंगे

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In Hindi By Famous Poet Sajida Zaidi. is written by Sajida Zaidi. Complete Poem in Hindi by Sajida Zaidi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.