राह का शजर हूँ मैं और इक मुसाफ़िर तू
दे कोई दुआ मुझ को ले कोई दुआ मुझ से
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Gulzar
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(548) Peoples Rate This
शब की ज़ुल्फ़ें सँवारता हुआ मैं
तुम ग़लत समझे हमें और परेशानी है
ख़ला में घूर रहा है अजीब आदमी है
तुझे खो कर मोहब्बत को ज़ियादा कर लिया मैं ने
देख पाई न मिरे साए में चलता साया
कहाँ ज़मीं के ज़ईफ़ ज़ीने पे चल रही है
ये सराबों की शरारत भी न हो तो क्या हो
रहीन-ए-ख़्वाब हूँ और ख़्वाब के मकाँ में हूँ
लहर इस आँख में लहराई जो बे-ज़ारी की
यूँ जुदा हुए मेरे दर्द-आश्ना मुझ से