तुम न आसान को आसाँ समझो
वर्ना मुश्किल मिरी मुश्किल तो नहीं
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बाम पर आता है हमारा चाँद
दिल कलेजे दिमाग़ सीना ओ चश्म
यूँही वादा करो यक़ीं हो जाए
जाएगी गुलशन तलक उस गुल की आमद की ख़बर
हिचकियाँ आती हैं पर लेते नहीं वो मेरा नाम
निस्बत वही माह-ए-आसमाँ से
बद्र और महर दो हैं नाम उन के
है चमन में रहम गुलचीं को न कुछ सय्याद को
रहते काबे में अकेले क्या हम
हम पे जौर-ओ-सितम के क्या मअनी
यूँ परेशाँ कभी हम भी तो न थे