आँसू हूँ हँस रहा हूँ शगूफ़ों के दरमियाँ
शबनम हूँ जल रहा हूँ शरारों के शहर में
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Habib Jalib
Anwar Masood
Gulzar
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(490) Peoples Rate This
ड्राइंग-रूम
सरहद-ए-फ़ना तक भी तीरगी नहीं आई
धरती अमर है
मज़दूर लड़की
कभी कभी अर्ज़-ए-ग़म की ख़ातिर हम इक बहाना भी चाहते हैं
मैं तो कहता हूँ तुम्ही दर्द के दरमाँ हो ज़रूर
ये अब्र-ओ-बाद ये तूफ़ान ये अँधेरी रात
अस्पताल
ग़म पर हैं तअ'ना-ज़न तो ख़ुशी भी निभाइए
रद्द-ए-अमल
सड़क बन रही है