आज तो शम्अ हवाओं से ये कहती है 'सलाम'
रात भारी है मैं बीमार को कैसे छोड़ूँ
Habib Jalib
Anwar Masood
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(519) Peoples Rate This
वो दिल से तंग आ के आज महफ़िल में हुस्न की तमकनत की ख़ातिर
मेरी मौत ऐ साक़ी इर्तिक़ा है हस्ती का
आग
गुरेज़
कभी कभी अर्ज़-ए-ग़म की ख़ातिर हम इक बहाना भी चाहते हैं
अस्पताल
मेरी फ़िक्र की ख़ुशबू क़ैद हो नहीं सकती
मजबूरियाँ
ये धरती ख़ूब-सूरत है
अंदेशा
ग़म पर हैं तअ'ना-ज़न तो ख़ुशी भी निभाइए