वो दिल से तंग आ के आज महफ़िल में हुस्न की तमकनत की ख़ातिर
नज़र बचाना भी चाहते हैं नज़र मिलाना भी चाहते हैं
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ड्राइंग-रूम
ये धरती ख़ूब-सूरत है
अजीब बात है मैं जब भी कुछ उदास हुआ
सरहद-ए-फ़ना तक भी तीरगी नहीं आई
तुम शराब पी कर भी होश-मंद रहते हो
बहुत दिनों की बात है....
अब अयादत को मिरी कोई नहीं आएगा
ऐ मिरे घर की फ़ज़ाओं से गुरेज़ाँ महताब
हवा ज़माने की साक़ी बदल तो सकती है
ये अब्र-ओ-बाद ये तूफ़ान ये अँधेरी रात
रद्द-ए-अमल