सलाम मछली शहरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सलाम मछली शहरी
नाम | सलाम मछली शहरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Salam Machhli Shahri |
जन्म की तारीख | 1921 |
मौत की तिथि | 1975 |
यूँ ही आँखों में आ गए आँसू
वो सिर्फ़ मैं हूँ जो सौ जन्नतें सजा कर भी
वो दिल से तंग आ के आज महफ़िल में हुस्न की तमकनत की ख़ातिर
तुम शराब पी कर भी होश-मंद रहते हो
शुक्रिया ऐ गर्दिश-ए-जाम-ए-शराब
रोज़ पूजा के लिए फूल सजाता है 'सलाम'
रात दिल को था सहर का इंतिज़ार
मेरी मौत ऐ साक़ी इर्तिक़ा है हस्ती का
मेरी फ़िक्र की ख़ुशबू क़ैद हो नहीं सकती
काश तुम समझ सकतीं ज़िंदगी में शाएर की ऐसे दिन भी आते हैं
कभी कभी तो सुना है हिला दिए हैं महल
कभी कभी अर्ज़-ए-ग़म की ख़ातिर हम इक बहाना भी चाहते हैं
ग़म मुसलसल हो तो अहबाब बिछड़ जाते हैं
बुझ गई कुछ इस तरह शम्-ए-'सलाम'
अजीब बात है मैं जब भी कुछ उदास हुआ
ऐ मिरे घर की फ़ज़ाओं से गुरेज़ाँ महताब
अब मा-हसल हयात का बस ये है ऐ 'सलाम'
आँसू हूँ हँस रहा हूँ शगूफ़ों के दरमियाँ
आज तो शम्अ हवाओं से ये कहती है 'सलाम'
ज़िंदगी
ये धरती ख़ूब-सूरत है
वो ज़िंदा है
तसलसुल
सड़क बन रही है
रद्द-ए-अमल
पीतल का साँप
मुझे वो नज़्म लिखनी है
मज़दूर लड़की
मजबूरियाँ
कश्मकश