Ghazals of Salam Machhli Shahri

Ghazals of Salam Machhli Shahri
नामसलाम मछली शहरी
अंग्रेज़ी नामSalam Machhli Shahri
जन्म की तारीख1921
मौत की तिथि1975

ये अब्र-ओ-बाद ये तूफ़ान ये अँधेरी रात

तुम्हें मिरे ख़याल की मुसव्विरी क़ुबूल हो

थोड़ी देर ऐ साक़ी बज़्म में उजाला है

सुब्ह-दम भी यूँ फ़सुर्दा हो गया

शगुफ़्ता बच्चों का चेहरा दिखाई देने लगे

सरहद-ए-फ़ना तक भी तीरगी नहीं आई

फूलों के देस चाँद सितारों के शहर में

न मौज-ए-बादा न ज़ुल्फ़ों न इन घटाओं ने

मैं तो कहता हूँ तुम्ही दर्द के दरमाँ हो ज़रूर

काश तुम समझ सकतीं ज़िंदगी में शाएर की ऐसे दिन भी आते हैं

कभी कभी अर्ज़-ए-ग़म की ख़ातिर हम इक बहाना भी चाहते हैं

इन ग़ज़ालान-ए-तरह-दार को कैसे छोड़ूँ

हम ऐसे लोग जल्द असीर-ए-ख़िज़ाँ हुए

हवा ज़माने की साक़ी बदल तो सकती है

ग़म पर हैं तअ'ना-ज़न तो ख़ुशी भी निभाइए

बन गई है मौत कितनी ख़ुश-अदा मेरे लिए

अब अयादत को मिरी कोई नहीं आएगा

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