सलाम मछली शहरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सलाम मछली शहरी (page 2)

सलाम मछली शहरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सलाम मछली शहरी (page 2)
नामसलाम मछली शहरी
अंग्रेज़ी नामSalam Machhli Shahri
जन्म की तारीख1921
मौत की तिथि1975

जंगली नाच

गुरेज़

ड्राइंग-रूम

धुआँ

धरती अमर है

बहुत दिनों की बात है....

अवाम

अस्पताल

अंदेशा

आज फिर ये कह रहा हूँ

आग

ये अब्र-ओ-बाद ये तूफ़ान ये अँधेरी रात

तुम्हें मिरे ख़याल की मुसव्विरी क़ुबूल हो

थोड़ी देर ऐ साक़ी बज़्म में उजाला है

सुब्ह-दम भी यूँ फ़सुर्दा हो गया

शगुफ़्ता बच्चों का चेहरा दिखाई देने लगे

सरहद-ए-फ़ना तक भी तीरगी नहीं आई

फूलों के देस चाँद सितारों के शहर में

न मौज-ए-बादा न ज़ुल्फ़ों न इन घटाओं ने

मैं तो कहता हूँ तुम्ही दर्द के दरमाँ हो ज़रूर

काश तुम समझ सकतीं ज़िंदगी में शाएर की ऐसे दिन भी आते हैं

कभी कभी अर्ज़-ए-ग़म की ख़ातिर हम इक बहाना भी चाहते हैं

इन ग़ज़ालान-ए-तरह-दार को कैसे छोड़ूँ

हम ऐसे लोग जल्द असीर-ए-ख़िज़ाँ हुए

हवा ज़माने की साक़ी बदल तो सकती है

ग़म पर हैं तअ'ना-ज़न तो ख़ुशी भी निभाइए

बन गई है मौत कितनी ख़ुश-अदा मेरे लिए

अब अयादत को मिरी कोई नहीं आएगा

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