कभी कभी तो सुना है हिला दिए हैं महल
हमारे ऐसे ग़रीबों की इल्तिजाओं ने
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Anwar Masood
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Rahat Indori
Gulzar
Habib Jalib
Allama Iqbal
Jaun Eliya
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Sad Poetry
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Sharabi Poetry
Friends Poetry
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मजबूरियाँ
यूँ ही आँखों में आ गए आँसू
धरती अमर है
वो ज़िंदा है
वो दिल से तंग आ के आज महफ़िल में हुस्न की तमकनत की ख़ातिर
अब मा-हसल हयात का बस ये है ऐ 'सलाम'
शुक्रिया ऐ गर्दिश-ए-जाम-ए-शराब
रद्द-ए-अमल
जंगली नाच
न मौज-ए-बादा न ज़ुल्फ़ों न इन घटाओं ने
तसलसुल
कभी कभी अर्ज़-ए-ग़म की ख़ातिर हम इक बहाना भी चाहते हैं