काश तुम समझ सकतीं ज़िंदगी में शाएर की ऐसे दिन भी आते हैं
जब उसी के पर्वर्दा चाँद उस पे हँसते हैं फूल मुस्कुराते हैं
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फूलों के देस चाँद सितारों के शहर में
तुम्हें मिरे ख़याल की मुसव्विरी क़ुबूल हो
मजबूरियाँ
अजीब बात है मैं जब भी कुछ उदास हुआ
ये अब्र-ओ-बाद ये तूफ़ान ये अँधेरी रात
अब अयादत को मिरी कोई नहीं आएगा
जंगली नाच
तसलसुल
शगुफ़्ता बच्चों का चेहरा दिखाई देने लगे
ग़म पर हैं तअ'ना-ज़न तो ख़ुशी भी निभाइए
ये धरती ख़ूब-सूरत है