तू नहीं तो तिरा ख़याल सही
कोई तो हम-ख़याल है मेरा
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Gulzar
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Habib Jalib
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(2768) Peoples Rate This
मंज़िलें लाख कठिन आएँ गुज़र जाऊँगा
ज़िंदगी भर मैं सरगिरानी से
ज़िंदगी भर मुझे इस बात की हसरत ही रही
कितने ही ग़म निखरने लगते हैं
मुझ को क्या क्या न दुख मिले 'साक़ी'
में अब तक दिन के हंगामों में गुम था
दर-ब-दर होने से पहले कभी सोचा भी न था
ख़्वाब था या शबाब था मेरा
मदरसा मेरा मेरी ज़ात में है
सामने जब कोई भरपूर जवानी आए
कौन पुर्सान-ए-हाल है मेरा