सुरूर-ए-जाँ-फ़ज़ा देती है आग़ोश-ए-वतन सब को
कि जैसे भी हों बच्चे माँ को प्यारे एक जैसे हैं
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Gulzar
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Anwar Masood
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
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जदीद-तरीन आदमी-नामा
'शाहिद'-साहिब कहलाते हैं मिस्टर भी मौलाना भी
लबों में आ के क़ुल्फ़ी हो गए अशआर सर्दी में
जहाँ सुल्ताना पढ़ती थी
इस्लामाबाद
स्पैशलिस्ट पेन-किलर दे तो कौन सा?
नहले पे दहला
मुनाफ़ा मुश्तरक है और ख़सारे एक जैसे हैं
दफ़्तर-ए-शादी का मुन्तज़िम
क़ाबिज़ रहा है दिल पे जो सुल्तान की तरह
ऐसे लगे है नौकरी माल-ए-हराम के बग़ैर
गिरानी का असर