ऐसे लगे है नौकरी माल-ए-हराम के बग़ैर
जैसे हो 'दाग़' की ग़ज़ल बादा ओ जाम के बग़ैर
Jaun Eliya
Anwar Masood
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
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मुर्ग़ पर फ़ौरन झपट दावत में वर्ना ब'अद में
'शाहिद'-साहिब कहलाते हैं मिस्टर भी मौलाना भी
लबों में आ के क़ुल्फ़ी हो गए अशआर सर्दी में
बजट की कई सख़्तियाँ और भी हैं
इस दौर के मर्दों की जो की शक्ल-शुमारी
शादी के जो अफ़्साने हैं रंगीन बहुत हैं
वही मक़्बूल लीडर और डिप्लोमैट होता है
फ़क़त रंग ही उन का काला नहीं है
डिश-ऐन्टेना
मोटर-रिक्शा