मुर्ग़ पर फ़ौरन झपट दावत में वर्ना ब'अद में
शोरबा और गर्दनों की हड्डियाँ रह जाएँगी
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
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Gulzar
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Javed Akhtar
Anwar Masood
Habib Jalib
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बढ़ती रही हर साल जो तादाद हमारी
दफ़्तर-ए-शादी का मुन्तज़िम
सारे शिकवे दूर हो जाएँ जो क़ुदरत सौंप दे
गिरानी का असर
ख़बर है मेरी रुस्वाई की
ईद पर मसरूर हैं दोनों मियाँ बीवी बहुत
सुरूर-ए-जाँ-फ़ज़ा देती है आग़ोश-ए-वतन सब को
जदीद-तरीन आदमी-नामा
डिश-ऐन्टेना
चेहरे चाँद सितारों वाले हेरा-फेरी करते हैं
सेंट की कजले की और ग़ाज़े की गुल-कारी के ब'अद