राज़-ओ-नियाज़ में भी अकड़-फ़ूँ नहीं गई
वो ख़त भी लिख रहा है तो चालान की तरह
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Gulzar
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Jaun Eliya
Wasi Shah
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ख़बर है मेरी रुस्वाई की
फ़क़त रंग ही उन का काला नहीं है
नहले पे दहला
क्रिकेटर से मुकालिमा
ईद पर मसरूर हैं दोनों मियाँ बीवी बहुत
जहाँ सुल्ताना पढ़ती थी
लबों में आ के क़ुल्फ़ी हो गए अशआर सर्दी में
बढ़ती रही हर साल जो तादाद हमारी
इस दौर के मर्दों की जो की शक्ल-शुमारी
मुनाफ़ा मुश्तरक है और ख़सारे एक जैसे हैं
डिश-ऐन्टेना
मोटर-रिक्शा