अवामुन्नास को ऐसे दबोचा है गिरानी ने
कि जैसे कैट के पंजे में कोई रैट होता है
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गिरानी का असर
फ़क़त रंग ही उन का काला नहीं है
ईद पर मसरूर हैं दोनों मियाँ बीवी बहुत
हम ने तो उन्हें जामिआ से नक़्द ख़रीदा
डॉज-महल
जदीद-तरीन आदमी-नामा
मुन्ने का बस्ता
ख़बर है मेरी रुस्वाई की
चेहरे चाँद सितारों वाले हेरा-फेरी करते हैं
लबों में आ के क़ुल्फ़ी हो गए अशआर सर्दी में
क़ाबिज़ रहा है दिल पे जो सुल्तान की तरह
कुछ मह-जबीं लिबास के फैशन की दौड़ में