मुन्ने पर है इतना बोझ किताबों का
बेचारे को चलने में दुश्वारी है
उस का बस्ता देख के ऐसे लगता है
पी.एच.डी से आगे की तय्यारी है
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Gulzar
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Rahat Indori
Anwar Masood
Parveen Shakir
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बजट की कई सख़्तियाँ और भी हैं
वही मक़्बूल लीडर और डिप्लोमैट होता है
जश्न-ए-आज़ादी
राज़-ओ-नियाज़ में भी अकड़-फ़ूँ नहीं गई
'शाहिद'-साहिब कहलाते हैं मिस्टर भी मौलाना भी
अवामुन्नास को ऐसे दबोचा है गिरानी ने
लबों में आ के क़ुल्फ़ी हो गए अशआर सर्दी में
पागल लड़की
डॉज-महल
सेंट की कजले की और ग़ाज़े की गुल-कारी के ब'अद
सारे शिकवे दूर हो जाएँ जो क़ुदरत सौंप दे
मुनाफ़ा मुश्तरक है और ख़सारे एक जैसे हैं