कहाँ फ़ुर्क़त में है दिलदार उठना बैठना चलना
कभी भूल कर भी न बात की मुझे दिल से ऐसा भुला दिया
देख क्या तेरी जुदाई में है हालत मेरी
अभी तक उन के वही सितम हैं जफ़ा की ख़ू भी नहीं गई है
आशिक़ की जान जाती है इस बाँकपन को छोड़