Ghazals of Shamim Karhani (page 2)

Ghazals of Shamim Karhani (page 2)
नामशमीम करहानी
अंग्रेज़ी नामShamim Karhani
जन्म की तारीख1913
मौत की तिथि1975
जन्म स्थानDelhi

हमीं थे ऐसे सर-फिरे हमीं थे ऐसे मनचले

गुलों पे साया-ए-ग़म-हा-ए-रोज़गार मिले

ग़म दो आलम का जो मिलता है तो ग़म होता है

गली गली है अंधेरा तो मेरे साथ चलो

फ़ासला तो है मगर कोई फ़ासला नहीं

दर्द-शनास दिल नहीं जल्वा-तलब नज़र नहीं

चमन लहक के रह गया घटा मचल के रह गई

चमन चमन जो ये सुब्ह-ए-बहार की ज़ौ है

बचाओ दामन-ए-दिल ऐसे हम-नशीनों से

अनमोल सही नायाब सही बे-दाम-ओ-दिरम बिक जाते हैं

अगरचे इश्क़ में इक बे-ख़ुदी सी रहती है

आ रही है शब-ए-ग़म मेरी तरफ़ मेरे लिए

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