हिरन सब हैं बराती और दिवाना बन का दूल्हा है
पहर ख़िलअ'त कूँ उर्यानी की फिरता है बना छैला
Javed Akhtar
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Wasi Shah
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Anwar Masood
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(464) Peoples Rate This
दिल मिरा ज़ुल्फ़ सेती छूट फँसा अबरू में
क्यूँ तिरे गेसू कूँ गेसू बोलनाँ
मेरे जिगर के दर्द का चारा कब आएगा
कभी तुम मोम हो जाते हो जब मैं गर्म होता हूँ
दिल में ख़यालात-ए-रंगीं गुज़रते हैं जिऊँ बॉस फूलों के रंगों में रहिए
हुआ हूँ इन दिनों माइल किसी का
तुझे कहता हूँ ऐ दिल इश्क़ का इज़हार मत कीजो
दिल में जब आ के इश्क़ ने तेरे महल किया
किया ख़ाक आतिश-ए-इश्क़ ने दिल-ए-बे-नवा-ए-'सिराज' कूँ
दिन-ब-दिन अब लुत्फ़ तेरा हम पे कम होने लगा
दाम-ओ-क़फ़स न चाहिए दिल के शिकार कूँ
ग़म की जब सोज़िश सीं महरम होवेगा