Ghazals of Subodh Lal Saqi

Ghazals of Subodh Lal Saqi
नामसुबोध लाल साक़ी
अंग्रेज़ी नामSubodh Lal Saqi
जन्म स्थानDelhi

ज़ाविया कोई नहीं हम को मिलाने वाला

ज़बाँ को अपनी गुनहगार करने वाला हूँ

ये भी हुआ कि फ़ाइलों के दरमियाँ मिलीं

सुनहरा ही सुनहरा वादा-ए-फ़र्दा रहा होगा

मैं जुदाई का मुक़र्रर सिलसिला हो जाऊँगा

लम्बी ख़ामोशी की साज़िश को हराए कोई

किसी नय रूह को जिस्मी क़बाएँ भेजी हैं

हम ने ख़तरा मोल लिया नादानी में

अपनी गुमशुदगी की अफ़्वाहें मैं फैलाता रहा

आँख चुरा कर निकल गए हुश्यारी की

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