कुछ बूंदों ने मिल कर
मेरी हथेली पर
छोटी सी एक झील बनाई
जिस में
पूरे चाँद का अक्स उतर आया
वहशी मन ने उकसाया
चाँद को मैं ने क़ैद कर लिया
मुट्ठी में
सारा पानी फिसल गया
चाँद
मेरे क़ब्ज़े से निकल गया
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हम ने ख़तरा मोल लिया नादानी में
किसी नय रूह को जिस्मी क़बाएँ भेजी हैं
रत-जगे
मैं किसी कोने में
चुनाव
मुझ को आज न सोने देना
अपनी गुमशुदगी की अफ़्वाहें मैं फैलाता रहा
सीलन
लम्बी ख़ामोशी की साज़िश को हराए कोई
मुझे मालूम है
ज़ाविया कोई नहीं हम को मिलाने वाला
ये भी हुआ कि फ़ाइलों के दरमियाँ मिलीं