अपनी अपनी फ़िक्र
अपने अपने डर
अपने अपने दर्द लिए
तुम और मैं
अध-सोए से अध-जागे से
कब से करवट बदल रहे हैं
मैं क्यूँ जाग रहा हूँ
मुझ को पता नहीं
लेकिन सोच रहा हूँ
तुम क्यूँ जाग रही हो
मेरे जागे रहने की तुम चिंता छोड़ो
सो जाओ
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Anwar Masood
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Rahat Indori
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
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हम न सही
रत-जगे
मुझे मालूम है
मैं जुदाई का मुक़र्रर सिलसिला हो जाऊँगा
डोर
मेरे अंदर
आँख चुरा कर निकल गए हुश्यारी की
चुनाव
हम ने ख़तरा मोल लिया नादानी में
कब करोगे हमारा इस्तिक़बाल
लम्बी ख़ामोशी की साज़िश को हराए कोई
ये भी हुआ कि फ़ाइलों के दरमियाँ मिलीं