सुबोध लाल साक़ी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सुबोध लाल साक़ी

सुबोध लाल साक़ी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सुबोध लाल साक़ी
नामसुबोध लाल साक़ी
अंग्रेज़ी नामSubodh Lal Saqi
जन्म स्थानDelhi

मैं जुदाई का मुक़र्रर सिलसिला हो जाऊँगा

सीलन

रत-जगे

मुझ को आज न सोने देना

मुझे मालूम है

मेरे अंदर

मैं किसी कोने में

कब करोगे हमारा इस्तिक़बाल

इन्द्र-धनुष बन जाएँ

हम न सही

हवस

डोर

धुँद

चुनाव

ज़ाविया कोई नहीं हम को मिलाने वाला

ज़बाँ को अपनी गुनहगार करने वाला हूँ

ये भी हुआ कि फ़ाइलों के दरमियाँ मिलीं

सुनहरा ही सुनहरा वादा-ए-फ़र्दा रहा होगा

मैं जुदाई का मुक़र्रर सिलसिला हो जाऊँगा

लम्बी ख़ामोशी की साज़िश को हराए कोई

किसी नय रूह को जिस्मी क़बाएँ भेजी हैं

हम ने ख़तरा मोल लिया नादानी में

अपनी गुमशुदगी की अफ़्वाहें मैं फैलाता रहा

आँख चुरा कर निकल गए हुश्यारी की

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