कभी कभी मुझे लगता है वो नहीं है वो
मगर कभी कभी लगता है वो वही तो नहीं
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Gulzar
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Javed Akhtar
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(605) Peoples Rate This
बदन को वज्द तिरे बे-हिसाब-ओ-हद आए
इस क़दर ग़ौर से देखा है सरापा उस का
बहुत से दर्द थे पर ख़ुद को जोड़ कर रक्खा
हम अपनी ज़िंदगी के लिए शुक्र-गुज़ार हैं
क़रार दीदा-ओ-दिल में रहा नहीं है बहुत
सग-ए-जमाल हूँ गर्दन से बाँध कर ले जा
ये कैसी आया-ए-मोजिज़-नुमा निकल आई
'चार्ली-चैपलिन'
तू मुझ को चाहता है इस मुग़ालते में रहूँ
पुल-ए-सिरात न था दश्त-ए-नैनवा भी न था
वो याद कर भी रहा हो तो फ़ाएदा क्या है
फ़क़त क़याम का मतलब गुज़र-बसर कोई है