दुखों के रूप बहुत और सुखों के ख़्वाब बहुत
तिरा करम है बहुत पर मिरे अज़ाब बहुत
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
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Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Wasi Shah
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
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मुझे अज़ीज़ है बे-एहतियाती-ए-सादा
बे-रहम शायरों के जुर्म
जान के एवज़
रात के पड़ाव पर
छोटी सी खिड़की है
इज़्हार-ए-जुनूँ बर-सर-ए-बाज़ार हुआ है
तन्हाई के फ़न में कामयाब
किस तरह उस को बुलाऊँ ख़ाना-ए-बर्बाद में
कभी वो मिस्ल-ए-गुल मुझे मिसाल-ए-ख़ार चाहिए
हमें वो क्यूँ याद आ रहे हैं
ग़म-ए-ज़माना जब न हो ग़म-ए-वजूद ढूँड लूँ