तारिक़ क़मर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का तारिक़ क़मर (page 2)

तारिक़ क़मर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का तारिक़ क़मर (page 2)
नामतारिक़ क़मर
अंग्रेज़ी नामTariq Qamar
जन्म स्थानUttar Pradesh

ये रोज़-ओ-शब की मसाफ़त ये आना जाना मिरा

ये आरज़ू थी उसे आइना बनाते हम

वो मेरे ख़्वाब की ताबीर तो बताए मुझे

उस ने इक बार भी पूछा नहीं कैसा हूँ मैं

सारे ज़ख़्मों को ज़बाँ मिल गई ग़म बोलते हैं

रेआया ज़ुल्म पे जब सर उठाने लगती है

पाँव जब हो गए पत्थर तो सदा दी उस ने

नज़र नज़र से मिला कर कलाम कर आया

न तुम मिले थे तो दुनिया चराग़-पा भी न थी

ख़ुश्क आँखों से कहाँ तय ये मसाफ़त होगी

कौन सा मैं जवाज़ दूँ सूरत-ए-हाल के लिए

कैसे रिश्तों को समेटें ये बिखरते हुए लोग

एक तस्वीर जलानी है अभी

देखें कितने चाहने वाले निकलेंगे

चश्म-ए-बीना! तिरे बाज़ार का मेआर हैं हम

बड़ी हवेली के तक़्सीम जब उजाले हुए

अपनी पलकों के शबिस्तान में रक्खा है तुम्हें

Tariq Qamar Poetry in Hindi - Read Best Poetry, Ghazals & Nazams by Tariq Qamar including Sad Shayari, Hope Poetry, Inspirational Poetry, Sher SMS & Sufi Shayari in Hindi written by great Sufi Poet Tariq Qamar. Free Download all kind of Tariq Qamar Poetry in PDF. Best of Tariq Qamar Poetry in Hindi. Tariq Qamar Ghazals and Inspirational Nazams for Students.