इक समुंदर के हवाले सारे ख़त करता रहा
वो हमारे साथ अपने ग़म ग़लत करता रहा
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Rahat Indori
Allama Iqbal
Anwar Masood
Wasi Shah
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Javed Akhtar
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मेहनत कर के हम तो आख़िर भूके भी सो जाएँगे
लेने वाले तो सभी कुछ ले गए
अपनी तो गुज़री है अक्सर अपनी ही मन-मानी में
एक भी क़तरा न छोड़ा कीजिए
जीवन है पल पल की उलझन किस किस पल की बात करें
रोज़ ही पीना रोज़ पिलाना रोज़ ग़मों से टकराना