वज़ीर अली सबा लखनवी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का वज़ीर अली सबा लखनवी (page 3)
नाम | वज़ीर अली सबा लखनवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Wazir Ali Saba Lakhnavi |
जन्म की तारीख | 1793 |
मौत की तिथि | 1855 |
जन्म स्थान | Lucknow |
कोई सूरत से गर सफ़ा हो
किस मुँह से कहें गुनाह क्या हैं
जो अदू-ए-बाग़ हो बरबाद हो
इश्क़ का इख़्तिताम करते हैं
फ़िक्र-ए-रंज-ओ-राहत कैसी
दिल-ए-पुर दाग़ बाग़ किस का है
दिल है ग़िज़ा-ए-रंज जिगर है ग़िज़ा-ए-रंज
देख कर ख़ुश-रंग उस गुल-पैरहन के हाथ पाँव
दाग़-ए-जुनूँ दिमाग़-ए-परेशाँ में रह गया
बुत-परस्ती से न तीनत मिरी ज़िन्हार फिरी
बे-ताबी-ए-दिल ने ज़ार-पा कर
बंदा अब ना-सुबूर होता है
बाग़-ए-आलम में है बे-रंग बयान-ए-वाइ'ज़
बच कर कहाँ मैं उन की नज़र से निकल गया
अश्क-उफ़्तादा नज़र आते हैं सारे दरिया
ऐ सनम सब हैं तिरे हाथों से नालाँ आज-कल
ऐ सबा जज़्ब पे जिस दम दिल-ए-नाशाद आया
अदू-ए-जाँ बुत-ए-बे-बाक निकला
आया जो मौसम-ए-गुल तो ये हिसाब होगा
आप अपनी बेवफ़ाई देखिए
आई ऐ गुल-एज़ार क्या कहना