पानी निकल के दश्त में जारी है जा-ब-जा
या-रब गया है कौन ये सर पर उड़ा के ख़ाक
Mohsin Naqvi
Gulzar
Habib Jalib
Wasi Shah
Anwar Masood
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(782) Peoples Rate This
वहशत में याद आए है ज़ंजीर देख कर
हम को उस शोख़ ने कल दर तलक आने न दिया
उस पे करना मिरे नालों ने असर छोड़ दिया
ना-तवानी में पलक को भी हिलाया न गया
तुम अपनी ज़ुल्फ़ से पूछो मिरी परेशानी
बीच में है मेरे उस के तू ही ऐ आह-ए-हज़ीं
न आए सामने मेरे अगर नहीं आता
न पर्दा खोलियो ऐ इश्क़ ग़म में तू मेरा
गुलशन-ए-ख़ुल्द में हर-चंद कि दिल बहलाया
लाए जब घर से तो बेहोश पड़ा था 'आरिफ़'
हूँ तिश्ना-काम-ए-दश्त-ए-शहादत ज़ि-बस कि मैं