कहते हैं कि उम्मीद पे जीता है ज़माना
वो क्या करे जिस को कोई उम्मीद नहीं हो
Rahat Indori
Anwar Masood
Jaun Eliya
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Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
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Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Parveen Shakir
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मुरत्तब कर गया इक इश्क़ का क़ानून दुनिया में
जहाँ अपना क़िस्सा सुनाना पड़ा
अपनी हालत का ख़ुद एहसास नहीं है मुझ को
क़ैद से पहले भी आज़ादी मिरी ख़तरे में थी
ज़ालिम दम-ए-नज़अ न आया अफ़सोस
इश्क़ पाबंद-ए-वफ़ा है न कि पाबंद-ए-रुसूम
बातों में तो इख़्तियार शीरीनी कर
बेताब सा फिरता है कई रोज़ से 'आसी'
सब्र पर दिल को तो आमादा किया है लेकिन
उल्फ़त में मरे तो ज़िंदगी मिलती है