उल्फ़त में मरे तो ज़िंदगी मिलती है
ग़म लाख सहे तू एक ख़ुशी मिलती है
हर शम्अ को बज़्म-ए-दहर में ऐ 'आसी'
जलने ही के ब'अद रौशनी मिलती है
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Parveen Shakir
Rahat Indori
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1099) Peoples Rate This
मुरत्तब कर गया इक इश्क़ का क़ानून दुनिया में
ज़ालिम दम-ए-नज़अ न आया अफ़सोस
कहते हैं कि उम्मीद पे जीता है ज़माना
क़ैद से पहले भी आज़ादी मिरी ख़तरे में थी
हज़ारों तरह अपना दर्द हम उस को सुनाते हैं
इश्क़ पाबंद-ए-वफ़ा है न कि पाबंद-ए-रुसूम
सब्र पर दिल को तो आमादा किया है लेकिन
अपनी हालत का ख़ुद एहसास नहीं है मुझ को
बेताब सा फिरता है कई रोज़ से 'आसी'
जहाँ अपना क़िस्सा सुनाना पड़ा
बातों में तो इख़्तियार शीरीनी कर