देखना कैसे पिघलते जाओगे
जब मिरी आग़ोश में तुम आओगे
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ख़ाक से थे ख़ाक से ही हो गए
रंग आ जाता था उन की दीद से रुख़ पर मिरे
इक इश्क़ है कि जिस की गली जा रहा हूँ मैं
जो होगा सब ठीक ही होगा होने दो जो होना है
नीला अम्बर चाँद सितारे बच्चों की जागीरें हैं
मिरी यादें भला तुम किस तरह दिल से मिटाओगे
एहसास के सूखे पत्ते भी अरमानों की चिंगारी भी
जो हुआ जैसा हुआ अच्छा हुआ
दूर है मंज़िल तो क्या रस्ता तो है
आ कि चाहत वस्ल की फिर से बड़ी पुर-ज़ोर है
दोस्तों की बज़्म में साग़र उठाए जाएँगे
किधर का था किधर का हो गया हूँ