हम लकीरें कुरेद कर देखें
रंग लाएगा क्या ये साल नया
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मोहब्बत करने वाले दर्द में तन्हा नहीं होते
बहुत अज़ीज़ था आलम वो दिल-फ़िगारी का
जब कभी तुम मेरी जानिब आओगे
ज़र्फ़ है किस में कि वो सारा जहाँ ले कर चले
जो होगा सब ठीक ही होगा होने दो जो होना है
कौन जाने किस घड़ी याँ क्या से क्या हो कर रहे
नीला अम्बर चाँद सितारे बच्चों की जागीरें हैं
एहसास के सूखे पत्ते भी अरमानों की चिंगारी भी
थी याद किस दयार की जो आ के यूँ रुला गई
ये क्या हुआ कि अब तुझी से बद-गुमाँ मैं हो गया
ख़ाक से थे ख़ाक से ही हो गए