Ghazals of Abdul Hamid Adam (page 3)

Ghazals of Abdul Hamid Adam (page 3)
नामअब्दुल हमीद अदम
अंग्रेज़ी नामAbdul Hamid Adam
जन्म की तारीख1910
मौत की तिथि1981

दिल है बड़ी ख़ुशी से इसे पाएमाल कर

दिल डूब न जाएँ प्यासों के तकलीफ़ ज़रा फ़रमा देना

देख कर दिल-कशी ज़माने की

दरोग़ के इम्तिहाँ-कदे में सदा यही कारोबार होगा

छेड़ो तो उस हसीन को छेड़ो जो यार हो

भूली-बिसरी बातों से क्या तश्कील-ए-रूदाद करें

भूले से कभी ले जो कोई नाम हमारा

बे-सबब क्यूँ तबाह होता है

बे-जुम्बिश-ए-अब्रू तो नहीं काम चलेगा

बस इस क़दर है ख़ुलासा मिरी कहानी का

बहुत से लोगों को ग़म ने जिला के मार दिया

अरे मय-गुसारो सवेरे सवेरे

ऐ साक़ी-ए-मह-वश ग़म-ए-दौराँ नहीं उठता

अगरचे रोज़-ए-अज़ल भी यही अँधेरा था

अफ़्साना चाहते थे वो अफ़्साना बन गया

अब दो-आलम से सदा-ए-साज़ आती है मुझे

आता है कौन दर्द के मारों के शहर में

आप की आँख अगर आज गुलाबी होगी

आँखों से तिरी ज़ुल्फ़ का साया नहीं जाता

आज फिर रूह में इक बर्क़ सी लहराती है

आगही में इक ख़ला मौजूद है

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