Islamic Poetry of Abdul Hamid Adam
नाम | अब्दुल हमीद अदम |
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अंग्रेज़ी नाम | Abdul Hamid Adam |
जन्म की तारीख | 1910 |
मौत की तिथि | 1981 |
ज़बान-ए-होश से ये कुफ़्र सरज़द हो नहीं सकता
ये रोज़-मर्रा के कुछ वाक़िआत-ए-शादी-ओ-ग़म
पीर-ए-मुग़ाँ से हम को कोई बैर तो नहीं
ख़ुदा ने गढ़ तो दिया आलम-ए-वजूद मगर
कश्ती चला रहा है मगर किस अदा के साथ
जिन से इंसाँ को पहुँचती है हमेशा तकलीफ़
दिल ख़ुश हुआ है मस्जिद-ए-वीराँ को देख कर
छोड़ा नहीं ख़ुदी को दौड़े ख़ुदा के पीछे
ज़बाँ पर आप का नाम आ रहा था
वो सूरज इतना नज़दीक आ रहा है
वो अहद-ए-जवानी वो ख़राबात का आलम
रक़्स करता हूँ जाम पीता हूँ
मुश्किल ये आ पड़ी है कि गर्दिश में जाम है
मुझ से चुनाँ-चुनीं न करो मैं नशे मैं हूँ
मोहतात ओ होशियार तो बे-इंतिहा हूँ मैं
क्या बात है ऐ जान-ए-सुख़न बात किए जा
खुली वो ज़ुल्फ़ तो पहली हसीन रात हुई
कश्ती चला रहा है मगर किस अदा के साथ
हर परी-वश को ख़ुदा तस्लीम कर लेता हूँ मैं
गुनाह-ए-जुरअत-ए-तदबीर कर रहा हूँ मैं
भूले से कभी ले जो कोई नाम हमारा
ऐ साक़ी-ए-मह-वश ग़म-ए-दौराँ नहीं उठता
आँखों से तिरी ज़ुल्फ़ का साया नहीं जाता
आगही में इक ख़ला मौजूद है