Hope Poetry of Abdul Hamid Adam
नाम | अब्दुल हमीद अदम |
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अंग्रेज़ी नाम | Abdul Hamid Adam |
जन्म की तारीख | 1910 |
मौत की तिथि | 1981 |
वो मिले भी तो इक झिझक सी रही
शायद मुझे निकाल के पछता रहे हों आप
मुद्दआ दूर तक गया लेकिन
मैं और उस ग़ुंचा-दहन की आरज़ू
लज़्ज़त-ए-ग़म तो बख़्श दी उस ने
हम को शाहों की अदालत से तवक़्क़ो' तो नहीं
हर दिल-फ़रेब चीज़ नज़र का ग़ुबार है
आँख का ए'तिबार क्या करते
ज़ख़्म दिल के अगर सिए होते
ये कैसी सरगोशी-ए-अज़ल साज़-ए-दिल के पर्दे हिला रही है
वो सूरज इतना नज़दीक आ रहा है
वो बातें तिरी वो फ़साने तिरे
वो अबरू याद आते हैं वो मिज़्गाँ याद आते हैं
उन को अहद-ए-शबाब में देखा
सो के जब वो निगार उठता है
साक़ी शराब ला कि तबीअ'त उदास है
मतलब मुआ'मलात का कुछ पा गया हूँ मैं
मय-कदा था चाँदनी थी मैं न था
लहरा के झूम झूम के ला मुस्कुरा के ला
कितनी बे-साख़्ता ख़ता हूँ मैं
ख़ुश हूँ कि ज़िंदगी ने कोई काम कर दिया
खुली वो ज़ुल्फ़ तो पहली हसीन रात हुई
हम से चुनाँ-चुनीं न करो हम नशे में हैं
हम ने हसरतों के दाग़ आँसुओं से धो लिए
हसीन नग़्मा-सराओ! बहार के दिन हैं
हँस हँस के जाम जाम को छलका के पी गया
दिल है बड़ी ख़ुशी से इसे पाएमाल कर
देख कर दिल-कशी ज़माने की
दरोग़ के इम्तिहाँ-कदे में सदा यही कारोबार होगा
छेड़ो तो उस हसीन को छेड़ो जो यार हो