हम्माम के आईने में शब डूब रही थी
सिगरेट से नए दिन का धुआँ फैल रहा था
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वो तुम तक कैसे आता
सड़कों पर सूरज उतरा
लहू को सुर्ख़ गुलाबों में बंद रहने दो
जलने लगे ख़ला में हवाओं के नक़्श-ए-पा
खिड़की ने आँखें खोली
वो मर गई थी
तुम को दावा है सुख़न-फ़हमी का
लफ़्ज़ की छाँव में
दरवाज़ा खटखटा के सितारे चले गए
जीता है सिर्फ़ तेरे लिए कौन मर के देख
वक़्त की रेत पे
सोए हुए पलंग के साए जगा गया