Khawab Poetry of Ahmad Faraz (page 2)

Khawab Poetry of Ahmad Faraz (page 2)
नामअहमद फ़राज़
अंग्रेज़ी नामAhmad Faraz
जन्म की तारीख1931
मौत की तिथि2008

हुई है शाम तो आँखों में बस गया फिर तू

हर एक बात न क्यूँ ज़हर सी हमारी लगे

गुमाँ यही है कि दिल ख़ुद उधर को जाता है

फ़क़ीह-ए-शहर की मज्लिस से कुछ भला न हुआ

दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभाने वाला

दिल मुनाफ़िक़ था शब-ए-हिज्र में सोया कैसा

दिल बदन का शरीक-ए-हाल कहाँ

ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते

अगरचे ज़ोर हवाओं ने डाल रक्खा है

अब क्या सोचें क्या हालात थे किस कारन ये ज़हर पिया है

अब के तजदीद-ए-वफ़ा का नहीं इम्काँ जानाँ

आशिक़ी में 'मीर' जैसे ख़्वाब मत देखा करो

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