अगर तुम्हारी अना ही का है सवाल तो फिर
चलो मैं हाथ बढ़ाता हूँ दोस्ती के लिए
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साक़िया एक नज़र जाम से पहले पहले
हमदर्द
मैं ख़ुद को भूल चुका था मगर जहाँ वाले
अजब जुनून-ए-मसाफ़त में घर से निकला था
तेरे होते हुए महफ़िल में जलाते हैं चराग़
अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं
तेरी बातें ही सुनाने आए
ढूँड उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती
यूँ तो पहले भी हुए उस से कई बार जुदा
सिलसिले तोड़ गया वो सभी जाते जाते
ईद-कार्ड