मिरे ख़ुदा ने किया था मुझे असीर-ए-बहिश्त
मिरे गुनह ने रिहाई मुझे दिलाई है
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गो मिरे दिल के ज़ख़्म ज़ाती हैं
मुसाफ़िर ही मुसाफ़िर हर तरफ़ हैं
एक दरख़्वास्त
तर्क-ए-दरयूज़ा
हर लम्हा अगर गुरेज़-पा है
मैं ने समझा था कि लौट आते हैं जाने वाले
किस दिल से करूँ विदाअ' तुझ को
तुम मिरे इरादों के डोलते सितारों को
गीत
मिरा वजूद मिरी रूह को पुकारता है
कभी न पलटेगी बीती हुई घड़ी लेकिन