Sad Poetry of Ainuddin Azim

Sad Poetry of Ainuddin Azim
नामऐनुद्दीन आज़िम
अंग्रेज़ी नामAinuddin Azim

ज़ेहन पर जब दर्द ख़ामोशी की चादर तानता है

वहशत में दिल कितना कुशादा करना पड़ता है

सताइश न कीजिए तबर्रा सही

पाँव फँसे में हाथ छुड़ाने आया था

पढ़ो इबारत-ए-तख़्लीक़-ए-दर्द चेहरे पर

मुझी में जीता है सूरज तमाम होने तक

मैं ने जब हद से गुज़रने का इरादा कर लिया

ला-मकाँ से भी परे ख़ुद से मुलाक़ात करें

क्या करूँ ज़र्फ़-ए-शनासाई को

कारोबारी शहरों में ज़ेहन-ओ-दिल मशीनें हैं जिस्म कारख़ाना है

दर्द तेरा मिरे सीने से निकाला न गया

अब जुनूँ के रत-जगे ख़िरद में आ गए

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