अब कितनी कार-आमद जंगल में लग रही है
वो रौशनी जो घर में बेकार लग रही थी
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Habib Jalib
Gulzar
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(748) Peoples Rate This
अपनी कहानी दिल में छुपा कर रखते हैं
बस एक तिरे ख़्वाब से इंकार नहीं है
नए सिरे से कोई सफ़र आग़ाज़ नहीं करता
दिल रोता है चेहरा हँसता रहता है
हाथ पकड़ ले अब भी तेरा हो सकता हूँ मैं
हमेशा दिल में रहता है कभी गोया नहीं जाता
मैं जिधर जाऊँ मिरा ख़्वाब नज़र आता है
तुम जिस को ढूँडते हो ये महफ़िल नहीं है वो
हम को लुत्फ़ आता है अब फ़रेब खाने में
कभी कभी कितना नुक़सान उठाना पड़ता है
क्यूँ आँखें बंद कर के रस्ते में चल रहा हूँ