बस्तियों वाले तो ख़ुद ओढ़ के पत्ते, सोए
दिल-ए-आवारा तुझे रात सँभाला किस ने
Gulzar
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Allama Iqbal
Habib Jalib
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Rahat Indori
Anwar Masood
Parveen Shakir
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दिल के दाग़ में सीसा है और ज़ख़्म-ए-जिगर में ताँबा है
रो चले चश्म से गिर्या की रियाज़त कर के
हिजाब आ गया था मुझ को दिल के इज़्तिराब पर
कँवल हों आब में ख़ुश गुल सबा में शाद रहें
सफ़ीर-ए-लैला-2
किसी का साया रह गया गली के ऐन मोड़ पर
लुहार जानता नहीं
हुजूम-ए-गिर्या
सफ़ीर-ए-लैला-1
नौहा
ज़र्द फूलों में बसा ख़्वाब में रहने वाला