नीना सहर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का नीना सहर
नाम | नीना सहर |
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अंग्रेज़ी नाम | Neena Sahar |
जन्म की तारीख | 1966 |
ज़ख़्म भी अब हसीन लगते हैं
तिरे वजूद को छू ले तो फिर मुकम्मल हो
मिरी प्यास का तराना यूँ समझ न आ सकेगा
मारो पत्थर भी तो नहीं हिलता
कल तिरे एहसास की बारिश तले
कैसे होती है शब की सहर देखते
हसरत-ए-मौसम-ए-गुलाब हूँ मैं
उसी की रौशनी रहती है इस क़दर मुझ में
तुम से जाना कि इक किताब हूँ मैं
सपन कितना सलोना चाहती थी
फिर तिरे रेशमी लब मुझ को मनाने आए
फिर तिरा इंतिज़ार देखेंगे
नैन तो बार बार भर जाएँ
मुख़्तलिफ़ हैं मिरी बहार के रंग
क्या करिश्मा था ख़ुदाया देर तक
कोई मो'जिज़ा हुआ है मिरी बे-ख़ुदी से आगे
कैसे होती है शब की सहर देखते
जाने अब खो गया किधर पानी
''हर तमन्ना दिल से रुख़्सत हो गई''
घर से निकले थे आरज़ू कर के
इक फ़क़त उस के रूठ जाने पर
बहुत सोचा किए क्या ज़िंदगी है